नई दिल्ली: देश में लोकसभा चुनाव का माहौल तैयार है। सोशल मीडिया पर राजनेताओं के बारे में कुछ मजेदार और कुछ अपमानजनक पोस्ट जैसे पार्टी मीम्स, कोट्स, कहानियां वायरल हो रही हैं। इनमें से कई पोस्ट फर्जी हैं। हालांकि, लोग बिना पुष्टि किए ही पोस्ट को शेयर कर रहे हैं। कई लोग खुलेआम सत्ताधारी सरकार के खिलाफ पोस्ट कर रहे हैं। इसमें आम जनता के साथ-साथ विपक्षी दलों के लोग भी हैं। अब केंद्र ने सोशल मीडिया पर इस दुष्प्रचार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाया है। केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सार्वजनिक रूप से Google, Facebook, Meta और Microsoft जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की कार्यप्रणाली पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
उन्होंने कहा, ‘अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कुछ भी पोस्ट करना संभव नहीं होगा। ’मेटा, गूगल, अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सभी सोशल मीडिया कंपनियों को अपनी जिम्मेदारियां निभानी होंगी। उन्हें यह देखना होगा कि उनके प्लेटफॉर्म पर क्या पोस्ट किया गया है और क्या नहीं।
सोशल मीडिया के लिए नया कानून बनेगा
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों का ढीला रवैया अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनके मंच पर जो भी प्रकाशित होगा वह उनकी जिम्मेदारी होगी। उन्हें गलत सूचनाओं और खबरों से निपटने के लिए तकनीकी समाधान ढूंढने होंगे। ताकि समाज और लोकतंत्र को नुकसान न पहुंचे। इसी तरह, मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी घोषणा की कि चुनाव के बाद डीप फेक और फर्जी खबरों से निपटने के लिए कानूनी ढांचा लागू किया जाएगा।
सोशल मीडिया के तेजी से इस्तेमाल से डर
हम अब सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली फर्जी खबरों और डीपफेक के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएंगे। इसके साथ ही एआई मॉडल बनाने के लिए सरकार की अनुमति लेनी होगी। करीब 2 हफ्ते पहले गूगल के जेमिनी एआई टूल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में झूठी खबर प्रकाशित की थी। भारत में इस समय चुनाव का माहौल है। ऐसे में फर्जी खबरों का समर्थन नहीं किया जाएगा। यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह भी कहा कि भ्रामक खबरों का असर चुनावी माहौल पर न पड़े, इसे ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।
