मुंबई: शनिवार की सुबह मुंबई में हलचल कुछ और ही थी। खबर आई कि CBI की टीम ने उद्योगपति अनिल अंबानी और उनकी कंपनी Reliance Communications (RCom) से जुड़े ठिकानों पर दबिश दी है। वजह? SBI का आरोप है कि RCom ने ₹2,929 करोड़ का लोन लेकर गलत इस्तेमाल किया।
कभी भारत के सबसे बड़े इंडस्ट्रियल आइकॉन कहे जाने वाले अनिल अंबानी के दरवाज़े पर जब CBI की घंटी बजी, तो ये सिर्फ़ एक छापेमारी नहीं थी—ये उस सफ़र की गवाही भी थी, जिसमें शोहरत और सवाल आमने-सामने खड़े हैं।
CBI की तलाशी: कहाँ क्या हुआ
शनिवार सुबह CBI की टीम ने मुंबई में अनिल अंबानी के residence और कॉर्पोरेट दफ़्तरों पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया। एजेंसी का कहना है कि SBI से लिए गए लोन में गड़बड़ी हुई और रकम का इस्तेमाल उसी मक़सद के लिए नहीं किया गया जिसके लिए लोन लिया गया था। तलाशी का मक़सद था—कंपनी के फाइनेंशियल रिकॉर्ड, ईमेल, कॉन्ट्रैक्ट्स और डिवाइसेज़ खंगालना।
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Yes Bank वाला एंगल
यह मामला अचानक से नहीं उठा। पिछले महीने ED (Enforcement Directorate) ने भी अनिल अंबानी ग्रुप से जुड़े करीब 35 ठिकानों पर छापे मारे थे। उस वक्त आरोप था कि 2017 से 2019 के बीच Yes Bank से लगभग ₹3,000 करोड़ का लोन लिया गया, और फिर उस रकम को अलग-अलग शेल कंपनियों और ग्रुप एंटिटीज़ में घुमाया गया। यानी SBI का मौजूदा केस और ED की पुरानी जांच कहीं न कहीं आपस में जुड़े हुए हैं।
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अब आगे क्या?
CBI ने अब FIR दर्ज कर ली है। फिलहाल अनिल अंबानी या उनकी कंपनी की तरफ से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। लेकिन क़ानूनी तौर पर अब आगे का रास्ता साफ है—CBI सबूत जुटाएगी, उन्हें फॉरेंसिकली जांचेगी और फिर ज़रूरत पड़ी तो समन, पूछताछ और शायद गिरफ्तारी की तरफ भी बढ़ सकती है।
ये केस सिर्फ़ एक बिज़नेसमैन की मुश्किल नहीं है, बल्कि बैंकिंग सेक्टर और कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर भी सवाल खड़े करता है कि इतने बड़े-बड़े लोन आखिर कैसे और किन शर्तों पर मंज़ूर किए गए?