कानपुर: यूपी के कानपुर में बारावफ़ात की सजावट इस बार सुर्खियों में आ गई। धार्मिक जुलूस मार्ग पर लगाए गए “I LOVE MOHAMMAD” बोर्ड और लाइट-बोर्ड को लेकर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर दी। इसके बाद यह मुद्दा सोशल मीडिया पर इतना वायरल हुआ कि Google Trends पर भी टॉप सर्च में आ गया।
मामला कैसे शुरू हुआ?
बारावफ़ात के अवसर पर कानपुर के कुछ इलाकों में जुलूस मार्ग पर “I LOVE MOHAMMAD” लिखे बैनर और लाइट-बोर्ड लगाए गए। पुलिस का कहना है कि ये बिना अनुमति सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए थे, जिससे कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका थी। इसी आधार पर रावतपुर थाने में केस दर्ज किया गया।
पुलिस की कार्रवाई
-
नामजद और अज्ञात लोगों पर FIR दर्ज
-
बोर्ड और बैनर हटाए गए
-
जांच शुरू कर दी गई है
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि नई परंपरा शुरू करना और बिना अनुमति सार्वजनिक जगहों पर बोर्ड लगाना नियमों के खिलाफ है।Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने FIR दर्ज की है।
https://indianexpress.com/article/cities/lucknow/how-a-barawafat-light-board-sparked-tension-over-new-practices-in-kanpur-fir-lodged-10252369/
धर्मगुरुओं और समुदाय की प्रतिक्रिया
दूसरी तरफ, मुस्लिम धर्मगुरुओं और समुदाय के लोगों का कहना है कि “I LOVE MOHAMMAD” लिखना कोई अपराध नहीं, बल्कि यह पैग़ंबर मोहम्मद के प्रति प्रेम और सम्मान का प्रतीक है। उन्होंने FIR को अनुचित बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है।
सोशल मीडिया पर क्यों छाया यह मामला?
जैसे ही बोर्ड हटाने और एफआईआर की खबरें सामने आईं, इंस्टाग्राम, ट्विटर और यूट्यूब पर #ILoveMohammad ट्रेंड करने लगा।
-
हजारों पोस्ट और वीडियो वायरल हुए
-
हैशटैग ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा
-
गूगल पर अचानक “I LOVE MOHAMMAD” की सर्च बढ़ गई
यही वजह है कि लोकल विवाद ने देखते-ही-देखते राष्ट्रीय चर्चा का रूप ले लिया।
क्यों अहम है यह विवाद?
यह विवाद केवल सजावट तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें दो बड़ी बहसें सामने आ रही हैं:
-
कानून-व्यवस्था बनाम धार्मिक अभिव्यक्ति
-
परंपरा बनाम नई प्रथा की शुरुआत
एक तरफ प्रशासन सुरक्षा की दुहाई दे रहा है, तो दूसरी तरफ समुदाय का कहना है कि मोहब्बत जताना अपराध नहीं हो सकता। कानपुर का “I LOVE MOHAMMAD” बोर्ड विवाद इस समय पूरे देश में चर्चा का विषय है।
पुलिस कार्रवाई और समुदाय की प्रतिक्रिया ने इसे और गर्मा दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल होने के चलते यह मामला अब सिर्फ कानपुर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राष्ट्रीय बहस का हिस्सा बन चुका है।