मुंबई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Nanrendra Modi) ने अपने शिरडी दौरे के दौरान एक किसान सभा में देश के पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार की आलोचना की थी। अब इस आलोचना का शरद पवार ने भी जवाब दिया है। मोदी पर पलटवार करते हुए शरद पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कृषि मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान लिए गए फैसलों को पढ़कर सुनाया। शरद पवार (Sharad Pawar) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिरडी में साईं बाबा के दर्शन करने के बाद कृषि विभाग में मेरी भागीदारी पर कुछ मुद्दे उठाए हैं। मैं एक बात स्पष्ट करना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री का पद संवैधानिक है। इसलिए उस पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए। शरद पवार ने कहा कि उनकी ओर से दी गई जानकारी हकीकत से कोसों दूर है।
क्या बोले शरद पवार?
शरद पवार ने कहा कि साल 2004 से 2014 तक मैं देश के कृषि मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल रहा था। साल 2004 में देश में अनाज की कमी थी। मंत्री पद की शपथ लेने के बाद, मैंने अमेरिका में गेहूं आयात करने का कड़ा निर्णय लिया क्योंकि देश में गेंहू की सप्लाई नहीं थी। मैंने दो-तीन दिन तक गेंहू आयात करने की फाइल पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। मेरा मानना था कि जब भारत एक कृषि प्रधान देश है, तो फिर अनाज देश के बाहर से लाया जाना मुझे ठीक नहीं लग रहा था।
दो दिन बाद मुझसे पूछा गया कि क्या आपको पता है कि देश में कितना स्टॉक है? उन्होंने कहा कि अगर फाइल पर हस्ताक्षर नहीं होंगे तो हम देश को अनाज की आपूर्ति नहीं कर पाएंगे। शरद पवार ने कहा कि अनाज के आयात से देश को फायदा हुआ।
शरद पवार ने कहा कि साल 2004 में चावल, गेहूं, कपास, गन्ना, सोयाबीन जैसी फसलों का समर्थन मूल्य दोगुने से भी ज्यादा किया था। इस अहम फैसले ने देश के कृषि क्षेत्र की तस्वीर बदल दी थी।
मेरे कार्यकाल में पैदावार बढ़ी
शरद पवार ने कहा कि साल 2004 से 2014 तक मैंने अनेक महत्वाकांक्षी योजनाएं चलाईं। राष्ट्रीय बागवानी मिशन 2005 में शुरू किया गया था। मेरे समय में गेहूँ और चावल की पैदावार में भारी वृद्धि हुई थी। फसल ऋण की दर 11 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दी गई थी। शरद पवार ने कहा, कुछ बैंक 3 लाख तक का लोन बिना ब्याज के दे रहे थे। साल 2015 में नरेंद्र मोदी ने मेरे काम की सराहना की थी। इसके अलावा 2012 में विश्व खाद्य संगठन ने माना था कि चावल का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है।
शरद पवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी