मुंबई: महाराष्ट्र में फिलहाल राजनीतिक अपराकि, एक्सटॉर्शन, हत्या और इस्तीफे की मांग की चर्चाओं के बीच राजनीतिक अंधविश्वास को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हैं. फिल्हाल महाराष्ट्र सचिवालय के एक चेंबर को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. आलम यह है कि महाराष्ट्र का कोई भी मंत्री इसेअपने नाम पर नहीं लेना चाहता. दरअसल इसके पीछे भूतकाल में हुई कई घटनाएं हैं जिसकी वजह से यह चैंबर अब किसी भी मंत्री की पसंद नहीं रहा है. इस चैंबर को लेकर राजनेताओं का मानना है कि जिस किसी ने इसको अपना कार्यालय बनाया है उसे भविष्य में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा है.
फिलहाल मंत्री शिवेंद्र राजे भोसले को यह 602 नंबर का चैंबर दिया गया है जो फिलहाल सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. आखिर ऐसा क्या है कि कोई भी मंत्री इसे नहीं लेना चाहता, आइए जानते हैं.
इन वजहों से कोई भी इस चैंबर को नहीं लेना चाहता-:
1) मंत्रियों का मानना है कि बीते ढाई दशक से जिस-जिस मंत्री को यह चैंबर मिला है उसे किसी न किसी परेशानी का सामना करना पड़ा है.
2) साल 1999 में यह खोली तत्कालीन उप मुख्यमंत्री और गृहमंत्री छगन भुजबल को दी गई थी लेकिन वर्ष 2003 में वह तेलगी स्टैंप पेपर घोटाले में फस गए थे.
3) इसके बाद अजित पवार का नाम सिंचाई घोटाले में आने के बाद उन्हें मंत्री पद इस्तीफा देना पड़ा था.
4) साल 2014 में जब बीजेपी की दोबारा सरकार बनी तब यह चैंबर तत्कालीन कैबिनेट मंत्री एकनाथ खडसे को दी गया था. इसके बाद एकनाथ खडसे का नाम जमीन घोटाले में सामने आया और उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ा था.
5) एकनाथ खडसे के बाद यह चैंबर बीजेपी के नेता और मंत्री पांडुरंग फुंडकर को दिया गया जिनका कुछ समय बाद साल 2018 में अचानक हार्ट अटैक आने से निधन हो गया.
6) इसके बाद यह चैंबर भाजपा नेता अनिल बोंडे को दिया गया. जिन्हें साल 2019 के विधानसभा चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा.
7) फिलहाल सरकार में यह चैंबर बीजेपी के मंत्री शिवेंद्र राजे भोसले के सामाजिक कार्य विभाग को दिया गया है.
8) हालांकि, 602 नंबर के इस चेंबर के इतिहास को देखते हुए मंत्री शिवेंद्र राजे भोसले के समर्थकों द्वारा चिंता जताई जा रही है.
9) मौजूदा समय में यह चैंबर पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं शिवेंद्र राजे भोसले इसके बगल वाले चेंबर का इस्तेमाल कर रहे हैं