मुंबई: यूं तो रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को रेलवे संपत्ति, यात्री क्षेत्र और यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। हालांकि, आरपीएफ रेल मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए “ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते” के तहत खोए हुए बच्चों को तलाश कर उनके परिवार से मिलाने का भी काम बखूबी कर रहे हैं। बीते 1 अप्रैल से 31 अक्टूबर-2024 के दौरान, मध्य रेल के रेलवे सुरक्षा बल ने कुल 861 बच्चों (589 लड़के और 272 लड़कियां) को बचाया और उनके परिवारों से मिलवाया।
हाल ही में हुई घटना
हाल ही में दिनांक 07.11.2024 को खंडवा स्टेशन पर पेट्रोलिंग ड्यूटी के दौरान आरपीएफ कार्मिक श्री ईश्वर चंद जाट और श्री आर के त्रिपाठी ने प्लेटफार्म क्रमांक 4/5 पर एक नाबालिग लड़के को चुपचाप बैठे देखा। सुमित नाम के लड़के की काउंसलिंग की गई और उसके दाहिने हाथ पर एक मोबाइल नंबर टैटू किया हुआ पाया गया। आरपीएफ टीम ने उस नंबर पर कॉल किया और उसके भाई से बात की जिसने बताया कि लड़के को भूलने की बीमारी है और वह अक्सर बातें भूल जाता है। लड़के को मेडिकल जांच के बाद चाइल्ड लाइन के दीपक लाड और मयूर चोरे की मदद से नवजीवन बाल गृह भेज दिया गया, जब तक कि उसका भाई उसे लेने नहीं आता।
जो बच्चे अपने परिवार को बताए बिना रेलवे स्टेशनों पर आते हैं किसी लड़ाई या पारिवारिक समस्याओं के परिणामस्वरूप या बेहतर जीवन या शहर की चकाचौंध आदि की तलाश में घर से भागे परिवारों से, उन बच्चों को प्रशिक्षित आरपीएफ कर्मियों द्वारा ढूंढा जाता है। ये प्रशिक्षित आरपीएफ कर्मी बच्चों से जुड़ते हैं, उनकी समस्याओं को समझते हैं और उन्हें उनके माता-पिता से मिलाने के लिए परामर्श देते हैं। कई माता-पिता इस नेक सेवा के लिए अपनी गहरी कृतज्ञता और आभार व्यक्त करते हैं।
बचाए गए बच्चों का विवरण:
अप्रैल-2024-
29 लड़के और 27 लड़कियां- कुल 56 बच्चे
मई-2024
61 लड़के और 32 लड़कियां- कुल 93 बच्चे
जून-2024
55 लड़के और 40 लड़कियां- कुल 95 बच्चे
जुलाई-2024
137 लड़के और 65 लड़कियां- कुल 202 बच्चे
अगस्त-2024
97 लड़के और 44 लड़कियां- कुल 141 बच्चे
सितंबर-2024
125 लड़के और 35 लड़कियां- कुल 160 बच्चे
अक्टूबर-2024
85 लड़के और 29 लड़कियां- कुल 114 बच्चे
कुल लड़के– 589
कुल लड़कियां–272
कुल बच्चे- 861
