नागपुर: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान एक बयान दिया, जिसने मीडिया और सोशल मीडिया दोनों में हलचल मचा दी। उन्होंने कहा कि जिन वकीलों की प्रैक्टिस नहीं चलती, वे सरकारी वकील बनने के लिए उनके घर के चक्कर लगाते हैं और जिन आर्किटेक्ट्स की प्रैक्टिस नहीं चलती, वे सरकार में नौकरी कर लेते हैं।
सरकारी अभियंताओं को चेतावनी
कार्यक्रम में गडकरी ने सरकारी अभियंताओं को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सरकारी अभियंताओं में “चल जाता है” वाली मानसिकता खतरनाक है और इससे देश के इंफ्रास्ट्रक्चर की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि सरकारी और निजी निर्माण की गुणवत्ता में फर्क आसानी से पहचाना जा सकता है।
सरकारी सिस्टम और नियमों पर टिप्पणी
गडकरी ने कहा कि कई बार सरकारी नियम और सिस्टम नए विचारों और नवाचार को दबा देते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा करने से छोटे-छोटे फैसलों का बड़ा असर पड़ता है और नवाचार करने वाले लोग हतोत्साहित होते हैं। उनका मानना है कि सरकारी तंत्र में बदलाव और क्रिएटिविटी के लिए अधिक खुलापन होना चाहिए।
इंजीनियरिंग और नैतिक जिम्मेदारी
सिविल इंजीनियरिंग में लगातार प्रगति हो रही है, लेकिन गडकरी ने कहा कि सरकारी इंजीनियरों में नैतिक इंजीनियरिंग की कमी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि खराब निर्माण की गुणवत्ता के लिए नेता और मंत्री जिम्मेदार हैं, लेकिन इंजीनियरों को अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए। क्वालिटी स्टैंडर्ड से नीचे काम करना स्वीकार्य नहीं है।
मंच पर मौजूद प्रमुख अधिकारी
इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इनमें वक्फ बोर्ड के सीईओ जनैद सैयद, अंडर सेक्रेटरी जहानगीर खान, सारंग पाटिल, डेस्क ऑफिसर प्रशांत अंधारे और महाराष्ट्र उर्दू अकादमी के सीईओ शोएब हाशमी शामिल थे। सभी ने गडकरी के बयान को गंभीरता से लिया और इसे सरकारी सिस्टम सुधार की चेतावनी बताया। गडकरी का यह बयान सरकारी तंत्र की हकीकत और जवाबदेही पर केंद्रित गंभीर संदेश है।