मुंबई: Over 1,00,000 Dawoodi Bohras gathered in Mumbai to pay tribute to their former spiritual leader Syedna Mohammed Burhanuddin on his 12th death anniversary. इस मौके पर दाऊदी बोहरा समुदाय के 53वें धर्मगुरु सैयदना मुफ़द्दल सैफुद्दीन ने सैफी मस्जिद में प्रवचन दिया और समुदाय को आजीवन सीखने (lifelong learning) की प्रेरणा दी।
1 लाख से अधिक लोग शामिल
मुंबई और आसपास के इलाकों से करीब 70,000 बोहरा सदस्य और भारत व विदेशों से आए लगभग 37,000 मेहमान इस आयोजन में शामिल हुए। यह सभा न सिर्फ धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक बनी बल्कि बोहरा समुदाय की वैश्विक एकजुटता का भी संदेश देती दिखी।
शिक्षा पर सैयदना का ज़ोर
अपने प्रवचन में Syedna Mufaddal Saifuddin ने कहा कि ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया कभी खत्म नहीं होती, हर इंसान को जीवनभर सीखते रहना चाहिए। उन्होंने अपने पूर्वजों – 51वें दाई सैयदना ताहिर सैफुद्दीन और 52वें दाई सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन – के योगदान को याद किया, जिन्होंने शिक्षा, व्यवसाय और व्यक्तिगत जीवन में समुदाय का मार्गदर्शन किया।
सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन की विरासत
सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन का वर्ष 2014 में निधन हुआ था। वे लगभग 50 वर्षों तक दाऊदी बोहरा समुदाय के धर्मगुरु रहे। उनके नेतृत्व में:
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शिक्षा को बढ़ावा मिला
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स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ़ हुईं
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आर्थिक विकास की दिशा बनी
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और पर्यावरण संरक्षण की कई पहलें शुरू हुईं
हैदराबाद से आए पर्यावरणविद मुस्तफा हामिद ने कहा—
“Syedna Mohammed Burhanuddin पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवनशैली को बढ़ावा देने में अपने समय से आगे थे। उन्होंने आस्था और पर्यावरणीय जिम्मेदारी को जोड़ते हुए 30 साल पहले Burhani Foundation की स्थापना की थी।”
बोहरा समाज और पर्यावरण
बुरहानी फाउंडेशन के माध्यम से बोहरा समुदाय ने स्वच्छता, हरियाली और सतत विकास (sustainable development) की दिशा में कई प्रोजेक्ट्स चलाए। इससे न केवल मोहल्लों का जीवनस्तर सुधरा बल्कि समाज ने पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दिया।
वर्तमान नेतृत्व और भविष्य
आज उनके पुत्र और उत्तराधिकारी Syedna Mufaddal Saifuddin उसी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। वे शिक्षा, परोपकार, आस्था और जिम्मेदार नागरिकता के मूल्यों को सशक्त बनाते हुए विश्वभर के बोहरा समुदाय को जोड़ रहे हैं।
यह आयोजन सिर्फ पुण्यतिथि नहीं था बल्कि एक reminder था कि सच्ची श्रद्धांजलि वही है, जब हम अपने गुरु के बताए रास्ते पर चलें और सीखना कभी न छोड़ें।