Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की सियासत में शरद पवार की एनसीपी का भी हाल उद्धव ठाकरे की शिवसेना जैसा ही है। दोनों दलों के विधायकों की अयोग्यता की सुनवाई विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष चल रही है। शिवसेना की तरह अब केंद्रीय चुनाव आयोग में भी पार्टी और चुनाव चिन्ह की लड़ाई चल रही है। हालांकि केंद्रीय चुनाव आयोग ने पार्टी और सिंबल एकनाथ शिंदे गुट को दे दिया है। हालांकि, इसके खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यह देखना अहम होगा कि स्पीकर राहुल नार्वेकर इस पूरे मामले में क्या फैसला देते हैं।
हालांकि, इस बीच एक बड़ी सियासी घटना होने की खबर है। साम टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक शरद पवार दिल्ली जाकर अमित शाह से मुलाकात करेंगे। लिहाजा अगर शरद पवार-अमित शाह की मुलाकात होती है तो इसके महाराष्ट्र में बड़े सियासी परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
सरकार के फैसले से बढ़ी किसानों को मुश्किलें
दरअसल प्याज निर्यात प्रतिबंध और इथेनॉल प्रतिबंध के फैसले से राज्य में प्याज उत्पादक किसान और चीनी मिलें संकट में हैं। खुद शरद पवार भी प्याज उत्पादक किसानों के लिए नाशिक की सड़कों पर नजर आए। ऐसे में अब इथेनॉल पर बैन का फैसला लेने के बाद संभावना जताई जा रही है कि शरद पवार सीधे केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह से मिलकर चीनी मिलों के लिए गुहार लगाएंगे। क्योंकि इथेनॉल बैन का सबसे ज्यादा असर चीनी निर्माताओं पर पड़ेगा।
इसलिए पता चला है कि वह अमित शाह से मुलाकात कर इस बारे में बातचीत करेंगे। जल्द ही पवार-शाह की मुलाकात की संभावना है। इसके अलावा पता चला है कि शरद पवार, अमित शाह को पत्र भी लिखने वाले हैं.
सिर्फ प्याज और चीनी के मुद्दे पर ही चर्चा?
अगर शरद पवार, अमित शाह से मिलेंगे तो सिर्फ प्याज और चीनी के मुद्दे पर ही चर्चा करेंगे यह कहना ठीक नहीं होगा। क्योंकि राज्य के मौजूदा सियासी हालात और एनसीपी-बीजेपी के इतिहास पर नजर डालें तो साल 2014 में शरद पवार ने बीजेपी को सरकार बनाने के लिए बाहर से समर्थन की पेशकश की थी। इसके अलावा खुद देवेंद्र फड़णवीस और अजित पवार कई मौकों पर दावा कर चुके हैं कि साल 2019 में सुबह के शपथ ग्रहण से पहले भी पवार ने सत्ता स्थापना को लेकर चर्चा की थी।
एक कश्ती के सवार हैं शिवसेना और एनसीपी!
अब एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) की लड़ाई केंद्रीय चुनाव आयोग के सामने चल रही है। वहीं, अगले कुछ महीनों में लोकसभा चुनाव होने हैं। इसलिए चुनाव के मद्देनजर भी शरद पवार और अमित शाह के बीच चर्चा हो सकती है। इसी तरह, देवेंद्र फडणवीस की अजित पवार को लिखी चिट्ठी से भी दोनों उपमुख्यमंत्रियों के बीच शीत युद्ध की चर्चा है।
ऐसे में नवाब मलिक के समर्थन से शरद पवार, अजित पवार की दुविधा अमित शाह के सामने खड़ी कर सकते हैं। ऐसे में पवार-शाह की मुलाकात के बाद किसका गेम होगा? ये तो आने वाले समय में ही पता चलेगा।
