Telangana Election 2023 : राजस्थान विधानसभा के लिए शनिवार को वोटिंग हुई। इसके बाद तेलंगाना विधानसभा के लिए मतदान होगा। तेलंगाना की आबादी करीब साढ़े तीन करोड़ है। तेलंगाना में मुस्लिम आबादी 13 फीसदी है। राजनीतिक विशेषज्ञों की समझ के मुताबिक राज्य की 119 सीटों में से एक तिहाई सीटों पर मुस्लिम वोटों का प्रभाव है। यानी तेलंगाना की 46 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं के वोट निर्णायक होंगे।
तेलंगाना चुनाव लड़ने वाली पार्टियों की मुख्य लड़ाई ‘बीआरएस’ से है। बावजूद इसके जिस तरह का सियासी माहौल कांग्रेस और बीजेपी ने बनाया है। उसका नतीजा दूसरे राज्यों और लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा।
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बीजेपी की घोषण का कितना असर होगा?
बीजेपी ने सार्वजनिक रूप से तेलंगाना में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण वापस लेने की घोषणा की। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस ने ‘एम’ फैक्टर के जरिए बड़ी चाल चली है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राज्य में चुनाव का नतीजा कुछ भी हो, लेकिन एम फैक्टर के हिसाब से तेलंगाना चुनाव का असर देश के अलग-अलग राज्यों में पड़ेगा।
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अगर राज्य की सभी सीटों का गौर करें तो हैदराबाद की 10 सीटों पर 40 फीसदी मुस्लिम हैं। इसके अलावा 20 सीटें ऐसी हैं जहां औसतन 20 फीसदी मुस्लिम निर्णायक भूमिका में हैं। अन्य 16 निर्वाचन क्षेत्रों में 14 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं और वे निर्णायक हैं।
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इसके अलावा 10 विधानसभा क्षेत्र हैं जिनमें से 7 सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी का प्रभाव है। इसलिए उनके पास वहां की सीटें हैं। इन निर्वाचन क्षेत्रों में निज़ामाबाद, करीमनगर, नलगोंडा, महबूबनगर, रंगारेड्डी, हैदराबाद और मेंडक शामिल हैं।
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कांग्रेस को एम फैक्टर का फायदा मिलेगा?
राजनीतिक विश्लेषक एनडी राव के मुताबिक एक तरफ बीआरएस ने मुसलमानों को आकर्षित करने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं और नई घोषणाएं भी की हैं। लेकिन दूसरी ओर कांग्रेस ने भी मुसलमानों को संदेश देने के लिए अलग घोषणापत्र जारी किया। कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि हम मुसलमानों के पक्ष में खड़े हैं। ऐसे में कांग्रेस के इस एम फैक्टर का फायदा मिलने की संभावना है।
